रंगों का त्योहार होली उल्लास और उमंग साथ लेकर आता है। त्योहार की तैयारियों में लोग इन दिनों जुट गए हैं। होली के त्योहार को लेकर वास्तु में बताए गए कुछ आसान से उपाय का ध्यान रखें। आइए जानते हैं इनके बारे में।
फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। होली पर अपने घर के मुख्य द्वार पर भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लगाएं। होली के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कना न भूलें। होलिका दहन की शाम अपने घर की चौखट पर दोमुखी आटे का दीपक बनाएं। लाल गुलाल छिड़ककर उसके ऊपर दीपक जलाकर रख दें। होलिका दहन के अगले दिन अपने ईष्ट देव को गुलाल अर्पित अवश्य करें। होली पर हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं। भगवान शिव को खीर अर्पित करें। सूर्यास्त के बाद होली के रंग न खेलें और न ही किसी के ऊपर रंग डालें, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। सूर्यास्त के बाद होली मिलन के लिए नहीं जाएं। नवविवाहित लड़की को होली को जलते हुए नहीं देखना चाहिए। सास-बहू भी एकसाथ होलिका दहन न देखें। होलिका की राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिड़कने से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है। होली पर रंग खेलते समय सिर पर टोपी अवश्य धारण करें। होलिका दहन के बाद राख को माथे पर लगाएं। इसे बाईं ओर से दायीं ओर तीन रेखा में खींचें। इसे त्रिपुण्ड कहते हैं। इसे लगाने से 27 देवता प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।