महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज अदम्य साहसी योद्धा और कुशल शासक थे। वह साहस और शौर्य की मिसाल थे। माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोंसले द्वारा दिए गए संस्कारों के कारण ही शिवाजी महाराज महान बने। शिवाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी राजे भोसले था।
1674 में रायगढ़ में उन्हें छत्रपति की उपाधि मिली। वह छत्रपति शिवाजी महाराज नाम से प्रसिद्ध हुए। वह धर्म निरपेक्ष शासक थे। वह सिर्फ अपने राज्य की रक्षा करने के लिए युद्ध करते थे। बड़ी-बड़ी सेनाओं को हारने के लिए गोरिल्ला युद्ध उन्हीं की देन है। उन्होंने नौसेना भी गठित कर रखी थी। युद्ध में जो सैनिक आत्मसमर्पण कर देते थे वे उन्हें अपनी सेना में शामिल कर लेते थे। जब शिवाजी महज 15 साल के थे तभी उन्होंने बीजापुर का किला अपने कब्जे में ले लिया था। शिवाजी महाराज महिलाओं को विशेष सम्मान दिया करते थे। अफजल खान का वध, शाइस्ता खान को हराना और औरंगजेब की गिरफ्त से बाहर निकलना शिवाजी महाराज के अदम्य साहस को दर्शाता है। संत रामदास शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु थे। साथ ही वह संत तुकाराम से भी अत्यधिक प्रभावित थे। उनकी मंत्रिपरिषद में आठ मंत्री थे जिन्हे अष्ट प्रधान भी कहा जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।